महारानी विक्टोरिया के घोषणा पत्र का महत्व
महारानी विक्टोरिया के घोषणा पत्र का महत्व
- 1857 के विद्रोह के पश्चात् महारानी विक्टोरिया ने एक घोषणा पत्र जारी किया।
महारानी विक्टोरिया
महारानी विक्टोरिया के घोषणा पत्र का महत्व
महारानी विक्टोरिया का यह घोषणा प्रमाण पत्र उदारता से परिपूर्ण था और भारत के राष्ट्रीय वैधानिक विकास में यह एक विशिष्ट स्थान रखता है। यह घोषणा की संभावना: 60 वर्षो 1917 तक ब्रिटिश सरकार की भारत संबंधी नीति का मूल आधार बना रहा था।
ईश्वरी प्रसाद के अनुसार इस घोषणापत्र में भारतीयों की कई आशंकाओं का निवारण किया गया जिसमें भारतीय राज्य संरक्षित हो गए डलहौजी की साम्राज्य विस्तार की नीति का अंत हुआ देसी रियासतों को गोद पुत्र गोद लेने का अधिकार प्राप्त हो गया हैं, भारतीय जनता को अपने धर्म को। स्वत्रंतपूर्वक मनाने का अधिकार मिल गया है नौकरी में अब अब वर्ण धर्म और जाति के भेद मिट गए एवं भारतीयों के लिए उच्च पद प्राप्त करने का मार्ग खुल गया।
निष्कर्ष -
महारानी विक्टोरिया की घोषणा का मूल लक्ष्य भारत में स्थापित ब्रिटिश साम्राज्य को सुरक्षा प्रदान करना था, इस उद्देश्य को लेकर भारतीय नरेशों के सम्मान और अधिकारों की सुरक्षा का आश्वासन दिया गया था। जिसका प्रयोग वह भारत के प्रगतिशील तत्वों के विरोध में करती रही। योग्यतनुसार पद की प्राप्ति का आश्वासन भारतीय शिक्षा वर्ग का समर्थन प्राप्त करने हेतु दिया गया था।
भारतीयों को उनके धर्म परंपराओं आदि में हस्तक्षेप नहीं करने का आश्वासन भारतीय जन- साधारण को संतुष्ट करने हेतु दिया गया था, क्योंकि इस प्रकार के हस्तक्षेप को विद्रोह के कारणों में से एक मुख्य कारण समझा गया था। यही नहीं बल्कि विद्रोह के बाद ब्रिटिश सरकार ने धर्मांधता, अंधविश्वास, जातीयता, क्षेत्रीयता आदि सभी को बढ़ावा दिया।
इस तरह यह घोषणा की किसी भी भातिं भारतीयों के प्रति न्याय या उनकी उन्नति की भावना से प्रेरित नहीं मानी जा सकती।
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