विवाह का अर्थ परिभाषा और प्रकार vivaha ka artha paribhasha or Parkar विवाह का अर्थ - ' उद्वह ' अर्थात वघू के घर ले जाना । विवाह एक संस्था है । लूसी मेयर - विवाह वह है जिसमें स्त्री - पुरुष का ऐसा योग है,जिसमें स्त्री से जन्मा बच्चा माता- पिता की वैध संतान माना जाए" इस परिभाषा में विवाह को स्त्री व पुरुष के ऐसे संबंधों के रूप में स्वीकार किया गया है जो संतानों को जन्म देते हैं,उन्हें वैध घोषित करते हैं तथा इसके फलस्वरूप माता-पिता एवं बच्चों को समाज में कुछ अधिकार एवं प्रस्थितियांं प्राप्त होती हैं। विवाह परिभाषाएं 1. डब्ल्यू.एच.आर.रिवर्स के अनुसार - " जिन साधनो द्वारा मानव समाज यौन संबंधों का नियमन करता है, उन्हें विवाह की संज्ञा भी दी जा सकती है " 2. बोगार्ड्स के अनुसार - "विवाह स्त्री और पुरुष के पारिवारिक जीवन में प्रवेश करने की एक संस्था है 1. ब्रह्म विवाह _ यह विवाह सभी प्रकार के विवाहों में श्रेष्ठ मान जाता है। मनु ने ब्रह्म विवाह को परिभाषित करते हुए लिखा है । "वेदों में ज्ञाता शीलवार वर को स्वयं बुल...