Dahej nirodhak adhiniyam 1961
दहेज निरोधक अधिनियम 1961
दहेज निरोधक अधिनियम 1961 |
इस समय के समाधन हेतु 8 मई,1961को संसद के संयुक्त अधिवेशन में निरोधक बिल' रखा गया। इस अधिनियम की भाषा तथा उद्देश्य ऐसे हैं जो हिंदुओं एवं दूसरे सभी संप्रदायों पर लागू होते हैं इसके द्वारा लड़के अथवा लड़की के विवाह को स्वीकृति के रूप में सभी तरह के दहेज लेने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।
विशेषताएं -
1. " विवाह के पहले या बाद में विवाह की एक शर्ट के रूप में एक पक्षीय व्यक्ति द्वारा दूसरे पक्ष की प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से दी गई कोई भी संपत्ति अमूल्य वस्तु रहे कहीं जाएगी।"
2. विवाह के अवसर पर भेंट के रूप में दी जाने वाली नकद, रकम, आभूषण, वस्त्र अथवा अन्य वस्तुओं के को 'दहेज' नहीं माना जाएगा।
3. अगर कोई व्यक्ति दहेज देता अथवा लेता है या इस कार्य में मदद करता है तो उसे 6 माह का कारावास तथा 5 हजार तक का दंड दिया जा सकता है
4. दहेज लेने अथवा देने से संबंधित कोई भी समझौता गैरकानूनी होगा।
5. विवाह के समय दिए गए उपहार अथवा धन राशि का उद्देश्य कन्या लाभ हेतु होगा। इस तरह ऐसी सभी वस्तुओं तथा धन को कन्या की संपत्ति (स्त्री धन) समझा जाएगा।
6. धारा-7 में यह उल्लेख है कि न्यायालय के द्वारा ऐसे अपराधों पर तभी विचार किया जाएगा जब ऐसी शिकायत किसी व्यक्ति द्वारा लिखित रूप में विवाह होने के 1 वर्ष के भीतर ही की जाए। इसकी सुनवाई प्रथम श्रेष्ठ मजिस्ट्रेट के कोर्ट में ही होगी।
1986 में दहेज निषेध अधिनियम 1961 में संशोधन किया गया एवं इसकी धाराओं को और कठोर तथा कारगर बनाया गया। इस संशोधन के अनुसार न्यूनतम सजा बढ़ाकर 5 वर्ष कैद तथा 5000 रुपए जुर्मान की गई है। इस कानून के तहत अपराधियों को गैर- जमानती बनाने का प्रस्ताव भी है एवं राज्य सरकारों द्वारा सलाहकार बोर्ड तथा दहेज निषेध अधिकारियो की नियुक्ति हेतु भी व्यवस्था की गई है।
Aasharm vyavastha kya hai artha Paribhasha or iske prakar
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें