समिति का अर्थ परिभाष और विशेषताएं
समिति का अर्थ (Association) - जहां केवल एक ही आवश्यकता की पूर्ति होती है उसे समिति कहते हैं।
1. मैकाइवर एवं पेज -
समिति मनुष्यों का एक समूह है जिसे किसी सामान्य उद्देश्य की पूर्ति के लिए संघटित किया जाता है।
2. बोगर्डस - सामान्यत: किसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए मिलकर कार्य करना समिति है ।
विशेषताएं -
1. मनुष्य व्यक्तियों का समूह है -
समिति तब बनती है, जब कि जबकि अनेक व्यक्ति मिलकर किसी हित की प्राप्ति के लिए परस्पर संगठित होना आवश्यक मानते हैं। इस उद्देश्य से प्रेरित होकर जिस समूह का वे निर्माण करते है, उसे समिति कहते हैं ।
2. एक निश्चित उपदेश -
समिति मनुष्यों का संकलन मात्र नहीं है। समिति के माध्यम से इच्छित उद्देश्य की पूर्ति के लिए समिति में अनेक पद व उनसे जुड़ी भूमिकाए होती है।
उदाहरणस्वरूप समिति में एक मुखिया जिसे अध्यक्ष, संचालन, सभापति, पीठासीन अधिकारी आदि कहते हैं, उसके सहायक, उपाध्यक्ष, उपसभापति आदि; कार्यों और निर्देशों के क्रियान्वयन के लिए संचिव, उसकी सहायता के लिए कोषाध्यक्ष, नियंत्रण व निर्णय लेने के लिए निर्देशक मंडल तथा साधारण सभा के सदस्य होते हैं। इनमें से प्रत्येक के अधिकार और कर्तव्य सुनिश्चित रहते हैं। इस प्रकार प्रत्येक समिति की एक संचालन होती है ।
3. ऐच्छिक सदस्यता -
समिति की सदस्यता ऐच्छिक होती है । व्यक्ति की इच्छा पर निर्भर करता है कि यदि वह उचित या उपयोगी समझे तो समिति का सदस्य बने। उसे सदस्य बनने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है। इसी प्रकार समिति का सदस्य बने रहने के लिए भी किसी को बाध्य नहीं किया जा सकता है अतः समिति का सदस्य बनना अथवा सदस्यता त्यागना संबंधित व्यक्ति की स्वयं की इच्छा पर निर्भर करता है।
4. अस्थाई प्रकृति -
एक समिति तब तक अस्तित्व में बनी रहती है, जब तक कि वह सदस्यों की उससे संबंधित आवश्यकता को पूर्ण न कर दे। आवश्यकता की पूर्ति के पश्चात उसके औपचारिक रूप से समाप्त कर दिया जाता है। ऐसे न करने पर सदस्य स्वयं निरूपयोगी समिति की सदस्यता त्याग देते हैं। उदाहरणस्वरूप, एक गृह निर्माण समिति अपने सदस्यों को भूमि व ऋण अथवा मकान बनाकर देने तथा दिए गए ऋण की वापसी के पश्चात् और कोई कार्य शेष न रहने पर भंग कर दी जाती है।
5. विचार पूर्वक निर्माण किया जाता है -
समिति का स्वयं विकास नहीं होता है। इसका निर्माण तो अनेक व्यक्तियो द्वारा किसी उद्देश्य से जानबूझकर विचार पूर्वक उस उद्देश्य की पूर्ति के लिए किया जाता हैं।
6. मूर्त समिति -
समिति मनुष्यों का समूह है, इसलिए उसका स्वरुप मूर्त होता है ।
7. नियमो का आधार -
हम कार्यपालिका व न्यायपालिका के अनेक नियमों से परिचित नहीं है। इन्हें जानना हम आवश्यक नहीं समझते हैं। इसी प्रकार हममें से अनेक भारत के संविधान के प्रावधानों का ज्ञान नहीं है, फिर भी वे भारत के नागरिक हैं, परंतु समिति के संदर्भ में ऐसा नहीं है। समिति के माध्यम से सदस्यों की आवश्यकताओं की पूर्ति होती है, इसलिए समिति से लाभ प्राप्त करने के लिए प्राय: प्रत्येक सदस्य समिति के नियमों को भली भांति जानता है ।
8. औपचारिक संबंध -
समिति उद्देश्य (किसी एक या कुछ आवश्यकता पूर्ति) से परस्पर संबंधित होने के कारण समिति के सदस्यों में पारस्परिक क्रियाएं भी कम होती है। सभी सदस्यों में प्रत्यक्ष संपर्क का होना भी आवश्यक नहीं है। इसलिए समिति के सदस्यों के बीच औपचारिक संबंध होते हैं ।
Dharm ka artha paribhasha or visheshtaye
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