jaatiwad ka arth Paribhasha or visheshataye
जातिवाद का अर्थ परिभाषा और विशेषताएं
अत: स्पष्ट है कि जातिवाद अपनी जाति के प्रति घनिष्ठता की भावना है जिसके आधार पर जाति का उत्थान किया जाता है
अत: स्पष्ट है कि जातिवाद अपनी जाति के प्रति घनिष्ठता की भावना है जिसके आधार पर जाति का उत्थान किया जाता हैं
जातिवाद की परिभाषा -
1. काका कालेलकर के अनुसार - "जातिवाद एक अबाधित अंध और सर्वोच्च समूह भक्ति है जो कि न्याय, ओचित्य, समानता और विश्व बंधुत्व की उपेक्षा करता है।"
जातिवाद की विशेषताएं
1. भावनाओं का केंद्रीकरण - जातिवाद एक ऐसी भावना है जो जो व्यक्ति के विचारों को सिर्फ अपनी ही जाति तक केंद्रित कर देती है। जातिवाद की भावना के चक्कर में पड़कर व्यक्ति अपनी ही जाति का उपकार खोजने में लगा रहता है
2. समाज के हितों की उपेक्षा - जातिवाद जाति के हितों को प्रोत्साहन देता है तथा व्यक्ति को समाज के सामान्य हितों से दूर ले जाता है।
3. विवेक शून्यता - जातिवाद एक ऐसा पागलपन है जिसमें व्यक्ति का विवेक लुप्त हो जाता है। व्यक्ति अपने विवेक से काम नहीं कर पाता, जातिवाद की भावनाओं में बह जाता है तथा उचित, अनुचित का ध्यान नहीं करता।
4. आंतरिक एवं बाह्य प्रभाव - जातिवाद व्यक्ति की आंतरिक भावनाओं को प्रभावित करना है,साथ ही वह व्यक्ति के बाह्य व्यवहार को भी प्रभावित करता है।
Aasharm vyavastha kya hai artha Paribhasha or iske prakar

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